शनिवार, 9 मई 2020

एन आर आई विवाह और लड़की की विवशता









विवाह हालांकि दो व्यक्तियों और उनके परिवारों के बीच होने वाला घनिष्ठ, प्रेममय  और सामाजिक संबंध है लेकिन फिर भी कुछ ऐसे विवाह होते हैं जो किए तो इन्हीं भावनाओं के आधार पर जाते हैं लेकिन उनका परिणाम कभी कभी बहुत दुखदाई निकलता है और विशेष रूप से लड़कियों का जीवन अक्सर नर्क की तरह हो जाता है।

ऐसी ही घटना पंजाब के एक छोटे से कस्बे से लगे एक गांव में हुई जो कहने को तो एक व्यक्ति के साथ घटी कही जा सकती  है लेकिन उसके दायरे में पूरा समाज आ जाता है। इसका जिक्र स्वयं भुक्तभोगी ने किया है और कुछ ऐसे प्रश्न उठाएं हैं  जिनका जवाब देने की जिम्मेदारी परिवार और समाज दोनों की है।

सोच बदलने की कहानी

होता यह है कि गांव की एक लड़की जो अभी कॉलेज में कृषि से संबंधित कोर्स कर रही है तथा जिसने अपनी जिन्दगी के सुनहरे सपने बुनने ही शुरू किए हैं, उसकी मर्जी के खिलाफ मातापिता शादी के लिए जोर जबरदस्ती करते हैं और एक एन आर आई लड़के से फेरे करवा देते हैं।

लड़का इस लड़की के साथ मौज मस्ती कर वापिस अमरीका चला जाता है और लड़की, इस उम्मीद में कि लड़के और उसके घरवालों के वायदे के मुताबिक अमरीका चली जाएगी, अपनी पढ़ाई पूरी करने लग जाती है।

लड़का अमरीका में ट्रक चलाता है और उसकी आमदनी उनसे भी ज्यादा है जो बड़ी बड़ी डिग्रियां लेकर वहां जाते हैं जैसे डॉक्टर, इंजिनियर, वैज्ञानिक आदि।  उन्हें  जो भी नौकरी मिले, उसका वेतन भारत से बहुत अधिक होता है, करने लगते हैं, लेकिन लेबर क्लास की आमदनी से उनका कोई मुकाबला नहीं। इसका मतलब यह भी है लेबर का  काम करने वालों को बिगड़ने में देर नहीं लगती और वे अक्सर अय्याशी, नशा, स्मगलिंग जैसे काम करने लगते हैं और वहां शादी न होने के कारण भारत में अपने पैसे के बल पर किसी भी सुन्दर, शिक्षित और आर्थिक दृष्टि से कमजोर परिवार की लड़की से शादी कर लेते हैं।

अब होता यह है कि शादी के बाद अय्याशी के लिए लड़का भारत में पत्नी के पास आता है और चला जाता है। अमरीका में भी उसे लड़कियों की कोई कमी नहीं और वह तथाकथित गोरी मेमों के साथ वक्त तो बिताता ही है, उसे ड्रग्स लेने का चस्का भी लग जाता है।

इधर लड़की का पिता अपनी बेटी की पढ़ाई और दूसरा जरूरी खर्चा भी उठाने से इंकार कर देता है और लड़का या उसके घरवाले पैसे नहीं भेजते तो लड़की को डिप्रेशन होने लगता है और  आत्महत्या करने के बारे में सोचने लगती है।

मुक्ति का रास्ता

वह एक दूसरा रास्ता खोजती है और अपनी बात अपने साथ पढ़ने वालों और अपने शुभचिंतकों तथा दोस्तों से शेयर करती है जिससे उसे काफी सहारा मिलता है और वह तनाव से बाहर आने लगती है, साथ ही अपने चारों ओर बुने गए चक्रव्यहू से बाहर निकलने की कोशिश करती है।

लड़की पढ़ी लिखी, समझदार है और अपने भविष्य के सपनों को समेटने का प्रयत्न करती है। शादी के बाद दो साल से वह अपने घर पर है। उसका मायका और ससुराल आसपास है जहां से उसे कोई मदद नहीं मिलती।

लड़के के घरवाले उसे अमरीका बुलाने को यह सोचकर राजी हो जाते हैं कि उसके आने से लड़का सुधर जाएगा और उनका वंश चलाने के लिए संतान भी हो जाएगी। लड़की भी यह सोचकर कि एक मार्ग तो मिला, जाने को तैयार हो जाती है।

अब विडम्बना यह है कि अमरीका में कानून सख्त होने के कारण लड़का और उसके घरवाले सोचते है कि अगर यह वहां आ गई और कानून को दस्तक दे दी या लड़के को तलाक देकर किसी और से शादी कर ली तो उनकी जिंदगी बर्बाद हो सकती है। इसलिए वे डर के कारण आनाकानी करने लगते हैं और यहां गांव में लड़की के घरवाले समाज के डर से कि उनकी बदनामी होगी, लड़की को न तो  तलाक लेने की कार्यवाही करने देते हैं और न ही उसका खर्चा उठाने को तैयार होते हैं।

कानून का सहारा

यहां यह बताना जरूरी है कि कुछ साल पहले इस तरह की घटनाओं को देखते हुए भारत की संसद ने कानून बनाया था कि एन आर आई से शादी को तीस दिन में रजिस्टर कराना होता है वरना लड़के का पासपोर्ट, वीजा रद्द हो सकता है और उसके लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती है।

कानून तो बन गया लेकिन सामाजिक जंजीरों के कारण इसके पालन पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया जाता और इस तरह लड़कियों का जीवन बर्बाद होता रहता है, खास तौर से उनका जो न तो ज्यादा पढ़ी लिखी हैं और न ही उनके पास कोई हुनर है जिससे वे अपने पैरों पर खड़ी हो सकें।

कानून यह भी है कि यदि विदेश में कोई एन आर आई अपनी भारतीय पत्नी के साथ दुर्व्यवहार करता है तो उस देश का कानून तो अपना शिकंजा कसता ही है, साथ में भारतीय दूतावास में शिकायत करने पर पीड़ित महिला को विकसित देशों में तीन हजार और विकासशील देशों में दो हजार डॉलर की मदद मिलती है जिससे वे अपने पति और उसके घरवालों के खिलाफ कार्यवाही कर सकती है। इसके साथ ही अगर लड़का अमरीका में कोई अपराध करता है तो भारत में उसकी पत्नी उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई कर सकती है।

प्रश्न जिनका उत्तर जरूरी है

इस निर्दोष लड़की की कहानी से अनेक सवाल निकलते हैं जो हालांकि नए नहीं लेकिन आज भी प्रासंगिक हैं क्योंकि उनका हल तब तक नहीं हो सकता जब तक पैसे, रुतबे और शान शौकत देखकर तथा पैसों के लालच में आकर अपनी बेटी की शादी करने को लेकर समाज की सोच नहीं बदलती। जिस तरह हर पीली धातु सोना नहीं होती उसी तरह हर रिश्ते की गारंटी केवल पैसा नहीं हुआ करती।

विदेश में बसने का सपना, डॉलर में कमाई का लालच और अपने दोस्तों रिश्तेदारों के बीच अपना स्टेटस अचानक बढ़ जाने का ख्वाब न केवल गांव देहात, कस्बों, छोटे शहरों में देखा जाता है बल्कि बड़े महानगरों में निम्न वर्ग हो या मध्यम या फिर उच्च वर्ग ही क्यों न हो, समान रूप से देखा जाता है। इसमें चाहे लड़की का जीवन बर्बाद हो जाए, उसका कैरियर चैपट हो जाए, वह युवावस्था में ही बूढ़ी लगने लगे या फिर आर्थिक तंगी से परेशान होकर कोई अनैतिक काम करने लगे तो इसमें पुरुष हो या महिला, उनका भ्रम तो बना ही रहता है, जिसका टूटना उतना ही जरूरी है जितना यह कि अमरीका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया में बसना ही जीवन का उद्देश्य नहीं है। जरा सोचिए !


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