शुक्रवार, 18 जनवरी 2019

विकास का मूल मंत्र वैज्ञानिक सोच और जागरूकता ही है








जय अनुसंधान


हमारे देश में विज्ञान का अर्थ ज्यादातर डॉक्टर या इंजीनियर बनने से ही लगाया जाता है। यह हमारी सोच में कम ही आता है कि विज्ञान का मतलब वैज्ञानिक सोच होता है। यहाँ यह समझना भी जरूरी हो जाता है कि जब कोई वैज्ञानिक सोच की बात करता है तो उसका क्या मतलब है। इसका सीधा और सरल उत्तर यह है कि हम किसी भी बात को तब ही स्वीकार करें जब तर्क यानि ठीक है या नहीं है, उचित है या अनुचित, इसके आधार पर उस बात की व्याख्या करें और जब वह इस कसौटी पर खरी उतरें तब ही उसे मानें। इससे होगा यह कि कोई यदि हमें चमत्कार के नाम पर या किस्मत बदलने के नाम पर टोना टोटका करने के लिए कहेगा तो हमारा मन उसे मानने को कभी तैयार नहीं होगा। यही वैज्ञानिक सोच और उसके प्रति जागरूकता है कि हम बहुत सी मुश्किलों से बच सकते हैं और कोई हमारा उल्लू नहीं बना सकता। ऐसा होने पर कोई हमें भूत प्रेत या स्वर्ग नरक के नाम पर डरा नहीं सकेगा और हमारा शोषण नहीं कर पाएगा। हमारे लिए यह सब केवल मनोरंजन की वस्तु बन जाएँगे न कि हकीकत क्योंकि इनका कोई अस्तित्व ही नहीं होता।

विज्ञान के प्रति जागरूकता या वैज्ञानिक सोच विकसित करने का अर्थ यही है कि हम सही और गलत की पहचान कर सकें। इसी के साथ विज्ञान ने खोज और अनुसंधान के जरिए हमें जो उपलब्धियों की सौगात दी हैं उनका अपनी जिंदगी को आसान, सुविधाजनक और आरामदेह बनाने के लिए इस्तेमाल कर सकें। इसका मतलब यह है कि हम कुएँ को अपना दायरा न समझें बल्कि धरती आकाश समुद्र अर्थात पूरी सृष्टि को अपना जीवन साथी मानें।


जय जवान जय किसान जय विज्ञान के बाद अब बारी आई है जय अनुसंधान की अर्थात हमारे देश और विश्व में जो नई टेक्नॉलजी विकसित हो रही है और प्रतिदिन नई खोज और वैज्ञानिक अनुसंधान हो रहे हैं उनके प्रति सामान्य व्यक्ति के मन में जिज्ञासा और अपने दैनिक कामकाज में उनके इस्तेमाल के प्रति रुचि पैदा की जाय। आज हमारे ही देश में हजारों की संख्या में विकसित टेक्नोलॉजी अपनाए जाने के लिए अलमारियों में बंद पड़ी है जो इंतजार कर रही हैं कि कब कोई आए और अलमारी से उन्हें निकाल कर इस्तेमाल करे।


यह विडम्बना ही है कि हमने भारतीय और विदेशी वैज्ञानिकों के नाम या उन्होंने जो कीर्तिमान हासिल किए उनके बारे में सुना तो जरूर है लेकिन उनकी खोज उनके अनुसंधान के बारे में ज्यादा कुछ जानकारी नहीं रखते। जबकि होना यह चाहिए कि हमें न केवल उनका पता हो बल्कि उनका उपयोग करने की सुविधा भी हो।


विज्ञान चैनल

अगर यह कहें कि सन् 2019 की शुरुआत जिस अभूतपूर्व कार्य से हुई है वह हमारी सोच और जीवन शैली बदलने की दिशा में सर्वाधिक महत्वपूर्ण कदम है तो गलत नहीं होगा। यह है विज्ञान प्रसार और दूरदर्शन के बीच हुआ करार जिसके अनुसार प्रतिदिन शाम पाँच से छः बजे तक विज्ञान चैनल का प्रसारण और इंटरनेट पर इंडिया साईन्स चैनल की शुरुआत और यह वायदा कि जल्दी ही यह चौबीस घंटे का चैनल बन जाएगा।

विज्ञान ही बताता है कि खेतों में पराली जलाने के बजाय उसे आमदनी का साधन कैसे बनाया जाए, फालतू समझे जाने वाले छीजन से कैसे उपयोगी सामान बने। इसी तरह खतरनाक रसायनों से जमीन की ताकत को कम होने से कैसे बचाया जाए। विज्ञान ने ही समुद्र के पानी को पीने और उससे बिजली बनाने लायक बनाया है। विज्ञान ने ही सुलभ किया है कि बायो डीजल से पेट्रोलियम पदार्थों पर निर्भरता कम हो सकती है। हमारी प्रयोगशालाओं में ऐसे अनुसंधान हो रहे हैं जिनसे जानलेवा बीमारियों से बचा जा सकता है।

इनमें न केवल जानकारी के साथ मनोरंजक फिल्में और धारावाहिक होंगे बल्कि वैज्ञानिकों द्वारा किए गए अनुसंधानों को लेकर ऐसे प्रोग्राम भी होंगे जिन्हें देखकर हम उनमें कही गयी बातों को अपने जीवन और कामकाज में व्यावहारिक तौर पर उतार सकें।

अब हम इस बात पर आते हैं कि आखिर विज्ञान से विकास कैसे होता है। मान लीजिए आप किसान हैं लेकिन उपज कम होने से परेशान हैं तो यह विज्ञान ही है जो हमारा परिचय ऐसे उपकरणों और खेती के नए तरीकों तथा फसल को नुकसान पहुँचा सकने वाले तत्वों से बचा सकने वाले उपायों से कराता है कि किसान चैन की नींद लेने के साथ साथ दिन दूनी रात चौगुनी उन्नति करने के सपने को भी साकार कर सकता है। इस चैनल के जरिए वह समझ सकेगा कि चाहे मिट्टी की जाँच हो या सिंचाई की जरूरत हो अथवा फसल को कीड़ों से बचाना हो या फिर उसके सही दाम ही क्यों न लेने हों वैज्ञानिक तरीकों का इस्तेमाल करने से इन सब सवालों के जवाब चुटकी बजाते ही मिल सकते हैं।
मान लीजिए आप प्रदूषण से परेशान हैं, पर्यावरण का विनाश करने वालों ने जीना मुश्किल कर दिया है, धुएँ और जहरीली गैसों के कारण बीमार हो रहे हैं और आप एक ऐसी फिल्म देखते हैं जो इन सब का वैज्ञानिक समाधान बताती है तो आप प्रशासन को ऐसी टेक्नोलॉजी अपनाने के लिए मजबूर कर सकते हैं ताकि साँस लेने के लिए साफ हवा तो मिल सके।


विज्ञान ही विकास का उपाय है


विज्ञान हमारे रोजगार करने, व्यापार करने और नया उद्योग लगाने के काम को भी बहुत आसान कर सकता है। पुराने को नए में बदलना कुदरत का नियम है। इस बदलाव को महसूस करने के साथ उसे स्वीकार करना ही विकास की पहली सीढ़ी है। पुराना खराब तो नहीं होता लेकिन उसकी उपयोगिता समाप्त होने के बाद उसी से चिपके रहना भी अकलमंदी नहीं है।


आज चाहे आवागमन के साधन हों, जानकारी हासिल करने के विभिन्न स्रोत हों, स्वस्थ और सुरक्षित रहने के संसाधन हों या फिर रोजाना के काम करने में मशीनों का उपयोग हो और यहाँ तक कि नदियों की सफाई और पीने के पानी की व्यवस्था हो, यह विज्ञान ही है जो हमें इन सब के बीच तालमेल बिठाना सिखाता है।

एक बात और है और वह यह कि विज्ञान के लिए आबादी का बढ़ना कोई समस्या नहीं बल्कि वरदान है। वजह यह कि जन्म केवल पेट के साथ ही नहीं होता बल्कि दिमाग के साथ भी होता है। यह दिमाग ही है जो कम उम्र के बच्चों से भी ऐसे आविष्कार करा देता है कि दाँतों तले ऊँगली दबानी पड़ जाती है। विज्ञान के लिए गाँव हो या शहर किसी बात से फर्क नहीं पड़ता। जिस तरह प्रकृति किसी के साथ भेदभाव नहीं करती उसी तरह विज्ञान भी किसी एक वर्ग की बपौती नहीं होता बल्कि उसकी छत्रछाया सभी के लिए उपलब्ध है।


विज्ञान न केवल अंधविश्वास से बचाता है बल्कि ढोंग से भी रक्षा करता है। झूट का पर्दाफाश और सत्य उजागर करना केवल वैज्ञानिक सोच से ही सम्भव है।
जब यह सब विज्ञान की बदौलत है तो फिर वैज्ञानिक सोच और उसके प्रति जागरूक रहना ही एक सुखी और स्वस्थ जीवनशैली के लिए एकमात्र विकल्प है।


वैज्ञानिक प्रसारणों का कितना असर होता है इसका एक छोटा सा उदाहरण है। कुछ वर्ष पहले विज्ञान और टेक्नोलॉजी मंत्रालय के लिए ‘ऐसा क्यों’ शीर्षक से एक कार्यक्रम का निर्माण करता था जो आकाशवाणी पर सुबह के समय प्रसारित होता था। एक छात्र श्रोता का पत्र आया कि वह इसे अवश्य सुनता है और एक दिन परीक्षा वाले दिन भी सुनकर गया तो प्रश्नपत्र में वही प्रश्न था जिसका जवाब सुबह इस प्रोग्राम में सुनकर गया था।


इसी तरह विभिन्न वैज्ञानिक प्रयोगशालाओं द्वारा तैयार की गयी टेक्नोलॉजी पर फिल्म टीवी या यूटू्यूब पर देखकर दर्शक उसके बारे में न केवल अधिक जानकारी चाहते हैं बल्कि बेशकीमती सुझाव भी देते हैं जिससे उस टेक्नोलॉजी में और सुधार किया जाए और उसका इस्तेमाल आसान बनाया जाए। भवन निर्माण, शौचालय बनाने की विधि, प्रदूषण से बचने के उपाय, ऊर्जा उत्पादन, जल संरक्षण, वन विकास आदि से लेकर स्टार्ट अप इंडिया और मेक इन इंडिया तक में विज्ञान का अद्भुत योगदान है। इसलिए यह कहना शत प्रतिशत सही होगा कि विज्ञान ही विकास का पर्याय है और इसके बिना हमारी न तो प्रगति है और न ही गति है।
पाठकों से अनुरोध है कि वे दूरदर्शन पर प्रतिदिन इस चैनल को अवश्य देखें, आपको बहुत से सवालों के जवाब घर बैठे ही मिल जाएँगे।


(भारत)

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